लेखनी कहानी -24-Feb-2022
विदाई
जन्म मरण के बंधन से बंधा संसार
हुआ नामकरण तो तेरहवी भी होनी है
आत्मा एक शरीर त्याग दूसरे में जानी है
अंतिम विदाई यहाँ हर किसी की देनी है
आता है यौवन बुढ़ापा भी आता है
एक दिन सूख कर डाल से पात गिर जाता है
होता है दिन रात भी आती है
सांझ होते ही खग नभ से विदाई लेते हैं
नन्ही सी परी कितनी बड़ी हो जाती है
छोड़ माँ का आँचल खुद माँ बनती है
दुल्हन सी एक दिन सज जाती है
विदा हो ससुराल की शोभा बढ़ाती है
कुछ भी यहाँ चिर काल नहीं
सांसारिक माया मोह से बंधा हर कोई
आया जगत में तो विदाई पाएगा
केवल अपने पद् चिन्हों को छोड़ चला जाएगा
श्वेता दूहन देशवाल
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
Ali Ahmad
05-Mar-2022 07:49 PM
Bahut khoob
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Inayat
05-Mar-2022 01:28 AM
Bahut khoob
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Arshi khan
03-Mar-2022 06:25 PM
Bahut khoob
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